IIT NEET Free Coaching: भारत में हर साल लाखों छात्र IIT और NEET जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। ये परीक्षाएं इंजीनियरिंग और मेडिकल क्षेत्र में प्रवेश के लिए अनिवार्य हैं। परंतु इन परीक्षाओं की तैयारी अब इतनी कठिन हो गई है कि अधिकतर छात्र स्कूलों की पढ़ाई छोड़कर कोचिंग संस्थानों पर निर्भर हो गए हैं। इसी स्थिति को सुधारने के लिए मोदी सरकार ने एक बहुत ही बड़ा कदम उठाया है।
मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला
हाल ही में केंद्र सरकार ने एक 9 सदस्यों वाली समिति का गठन किया है, जिसका उद्देश्य है कि कैसे छात्रों की कोचिंग पर निर्भरता को कम किया जाए और स्कूल शिक्षा को इतना सक्षम बनाया जाए कि छात्रों को बाहर जाकर कोचिंग की जरूरत ही न पड़े।
समिति की अध्यक्षता करेंगे डॉ. विनीत जोशी
इस नवगठित समिति के अध्यक्ष उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी होंगे। समिति में अन्य सदस्यों में शामिल हैं:
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CBSE के अध्यक्ष
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स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के संयुक्त सचिव
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IIT मद्रास, IIT कानपुर और NIT त्रिची के प्रतिनिधि
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NCERT का एक प्रतिनिधि
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केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय के प्राचार्य
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एक सदस्य निजी विद्यालय का प्रतिनिधि
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उच्च शिक्षा विभाग का एक और संयुक्त सचिव
यह समिति शिक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट देगी कि कैसे स्कूल शिक्षा प्रणाली को मजबूत और व्यावहारिक बनाया जाए ताकि छात्र बिना किसी अतिरिक्त कोचिंग के भी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो सकें।
क्या है “डमी स्कूल संस्कृति” और क्यों है यह खतरनाक?
देशभर में “डमी स्कूल” का चलन तेजी से बढ़ा है। इसका मतलब है कि छात्र स्कूल में औपचारिक रूप से नामांकन तो कराते हैं, लेकिन वे कक्षा में उपस्थिति नहीं देते। इसके बजाय वे दिनभर कोचिंग क्लासेस में व्यस्त रहते हैं। इस वजह से:
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छात्र स्कूल की बुनियादी शिक्षा से कट जाते हैं
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सामाजिक और नैतिक शिक्षा नहीं मिलती
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पढ़ाई केवल एक उद्देश्य – एग्जाम क्लियर करने तक सीमित हो जाती है
सरकार का मानना है कि यह प्रवृत्ति शिक्षा के मूल उद्देश्य के खिलाफ है और इसे नियंत्रित किया जाना चाहिए।
शिक्षा में नवाचार लाने की तैयारी
समिति स्कूली शिक्षा की उन कमियों की पहचान करेगी जो छात्रों को कोचिंग संस्थानों की ओर धकेलती हैं। इसका लक्ष्य होगा:
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रटने की प्रवृत्ति को खत्म करना
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तर्क आधारित, विश्लेषणात्मक और रोचक शिक्षा पद्धति को अपनाना
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पाठ्यक्रम को प्रतियोगी परीक्षाओं के अनुसार अधिक प्रासंगिक बनाना
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शिक्षकों की ट्रेनिंग में सुधार लाना
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प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग को बढ़ावा देना
इन सुधारों से छात्रों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा ताकि वे केवल स्कूल के आधार पर ही NEET और IIT जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें।
छात्रों और अभिभावकों के लिए क्या होगा फायदा?
इस कदम के बाद छात्रों को निम्नलिखित लाभ होंगे:
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कोचिंग पर खर्च कम होगा – महंगे कोचिंग सेंटर की फीस की जरूरत नहीं पड़ेगी
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संतुलित जीवनशैली – छात्र स्कूल, परिवार और व्यक्तिगत समय का बेहतर संतुलन बना पाएंगे
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समग्र शिक्षा का विकास – पढ़ाई के साथ-साथ नैतिक, सामाजिक और व्यवहारिक शिक्षा भी मिलेगी
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मानसिक तनाव में कमी – लंबे समय तक कोचिंग क्लासेस में बैठने से होने वाले मानसिक दबाव से राहत मिलेगी
कोचिंग सेक्टर में आएगा पारदर्शिता का दौर
यह समिति कोचिंग संस्थानों की कार्यप्रणाली की समीक्षा भी करेगी। पिछले कुछ समय से देशभर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां:
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छात्रों पर अत्यधिक दबाव डाला गया
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आत्महत्या जैसे दुर्भाग्यपूर्ण मामले हुए
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गुणवत्ताहीन पढ़ाई के बावजूद अधिक शुल्क वसूला गया
अब इन संस्थानों के लिए भी एक नीति बनाई जाएगी, जिससे कोचिंग सेवाएं अधिक पारदर्शी और छात्रों के अनुकूल बन सकें।
देश को मिलेगी नई दिशा
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारत की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। अगर स्कूलों को ही मजबूत बना दिया जाए तो:
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गरीब और मध्यम वर्ग के छात्र भी बड़े संस्थानों में प्रवेश पा सकेंगे
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शिक्षा का व्यवसायीकरण कम होगा
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एक समान अवसर सबको मिलेगा
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शिक्षा में गुणवत्ता और समरसता आएगी
निष्कर्ष
IIT और NEET की तैयारी करने वाले लाखों छात्रों के लिए मोदी सरकार का यह फैसला किसी वरदान से कम नहीं है। अब स्कूली शिक्षा में वह ताकत लाई जाएगी कि छात्रों को बाहर जाकर कोचिंग की जरूरत ही न पड़े।
समिति का कार्य आने वाले समय में भारत की शिक्षा व्यवस्था को नए युग की ओर ले जाएगा, जहां पढ़ाई केवल एक परीक्षा पास करने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि एक समग्र और संतुलित विकास का माध्यम बनेगी।