संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, कोर्ट ने दिया परमानेंट करने का आदेश, 10 साल सेवा वालों को मिलेगी स्थाई नौकरी Contract Employees Regularization

By Shiv

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Contract Employees Regularization

Contract Employees Regularization: देशभर में संविदा (Contract) पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। संविदा कर्मचारियों को परमानेंट करने की दिशा में कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जो कि पूरे देश में संविदा कर्मचारियों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए नजीर साबित हो सकता है, जो वर्षों से संविदा पर कार्य कर रहे हैं और नियमितीकरण (Regularization) की मांग कर रहे हैं।

लंबे समय से चल रही थी मांग

उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में संविदा पर कार्यरत कर्मचारी लंबे समय से नियमित किए जाने की मांग कर रहे हैं। इन कर्मचारियों का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से सरकार या संबंधित विभागों के लिए सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें परमानेंट नहीं किया जा रहा है। इसी मुद्दे को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कोर्ट ने अब सकारात्मक फैसला दिया है।

कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एस. सुनील दत्त यादव ने इस मामले की सुनवाई की। याचिका भगवान दास और 15 अन्य कर्मचारियों द्वारा दायर की गई थी। ये सभी याचिकाकर्ता वोल्बमैन (Valveman) और पंप ऑपरेटर के पदों पर काम कर रहे थे। जानकारी के अनुसार, इन कर्मचारियों की सेवाएं पहले सीधे तौर पर नगर निगम के अधीन थीं, लेकिन वर्ष 2006 में ठेका श्रम प्रणाली समाप्त होने के बाद इन्हें आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से काम पर रखा गया।

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2006 में अन्य कर्मचारियों को किया गया था रेगुलर

28 जुलाई 2006 को राज्य सरकार ने 79 ठेका कर्मचारियों को नियमित कर दिया था, लेकिन याचिकाकर्ताओं को इस लाभ से वंचित कर दिया गया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने नगर निगम से अनुरोध किया कि उन्हें भी नियमित किया जाए, लेकिन 12 दिसंबर 2019 को यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया।

इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा उमा देवी केस में दिए गए ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें भी नियमित सेवा का लाभ दिया जाए, क्योंकि उन्होंने लगातार 10 वर्षों तक संबंधित विभाग में काम किया है।

कोर्ट ने कर्मचारियों के हक में दिया फैसला

न्यायमूर्ति सुनील दत्त यादव ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने एक आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से नगर निगम जैसे वैधानिक प्राधिकरण की सेवा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये कर्मचारी निगम के स्वीकृत पदों पर कार्य कर रहे थे, लेकिन सीधे भर्ती पर प्रतिबंध के कारण उन्हें आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त किया गया।

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कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि संविदा और आउटसोर्सिंग को सिर्फ सीधी भर्ती से बचने का तरीका नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी पहले अपने फैसले में इसे स्वीकार किया है कि ऐसी नियुक्तियां अस्थायी होती हैं और लंबे समय तक इस व्यवस्था को बनाए रखना न्यायसंगत नहीं है।

रेगुलराइजेशन उसी दिन से लागू होगा, जब 10 साल की सेवा पूरी हुई

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि कर्मचारियों की सेवाओं को उसी तिथि से नियमित माना जाएगा, जब उन्होंने 10 साल की सेवा पूरी की थी। साथ ही उनके सेवा काल को रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभों में भी जोड़ा जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्मचारियों को सिर्फ सेवा की निरंतरता का लाभ मिलेगा, वे वेतन या अन्य वित्तीय लाभों के लिए पात्र नहीं होंगे।

अन्य राज्यों के कर्मचारियों के लिए बन सकती है मिसाल

कर्नाटक हाईकोर्ट का यह फैसला देश के अन्य राज्यों में संविदा कर्मचारियों के लिए प्रेरणा बन सकता है। यह निर्णय उन सभी कर्मचारियों के लिए उम्मीद की किरण है, जो वर्षों से संविदा पर कार्य कर रहे हैं और स्थायित्व की मांग कर रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का भी दिया गया हवाला

कोर्ट ने अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए उस फैसले का भी उल्लेख किया, जिसमें संविदा और आउटसोर्सिंग प्रणाली को सीधी भर्ती से बचने का माध्यम बताया गया था। इस आधार पर कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी नियुक्तियों को लम्बे समय तक अस्थायी बनाए रखना कर्मचारियों के भविष्य के लिए नुकसानदायक है।

निष्कर्ष

कर्नाटक हाईकोर्ट का यह फैसला संविदा कर्मचारियों के लिए एक बड़ा राहत भरा कदम है। वर्षों से स्थायीत्व की मांग कर रहे कर्मचारियों के लिए यह निर्णय एक नई उम्मीद जगाता है। यदि आपने भी संविदा पर 10 साल या उससे अधिक समय तक सेवा दी है, तो यह फैसला आपके लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य राज्य सरकारें इस फैसले से क्या सीख लेती हैं और अपने संविदा कर्मचारियों को क्या राहत देती हैं।

संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की दिशा में यह निर्णय निश्चित ही एक ऐतिहासिक पहल है, जो लाखों कर्मचारियों के जीवन को स्थायित्व और सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

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