पत्नी के नाम प्रॉपर्टी लेने से पहले जरूर पढ़ें ये कोर्ट का बड़ा फैसला, हो सकती है भारी चूक Property Ownership Court Decision

By Nisha

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Property Ownership Court Decision

Property Ownership Court Decision: आज के समय में टैक्स बचाने या पारिवारिक सुरक्षा के मकसद से बहुत से लोग अपनी कमाई से घर, जमीन या फ्लैट अपनी पत्नी के नाम पर खरीदते हैं। ऐसा करना उन्हें एक सुरक्षित और बुद्धिमानी भरा फैसला लगता है। लेकिन हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस विषय पर जो फैसला सुनाया है, वह उन सभी लोगों के लिए अहम बन गया है जो अपनी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं।

इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ है कि सिर्फ रजिस्ट्री में नाम होने से कोई व्यक्ति संपत्ति का मालिक नहीं बन जाता, असली मालिक वही होता है जिसने अपनी कमाई से वह संपत्ति खरीदी हो। तो अगर आप भी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने का सोच रहे हैं, तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।


🔎 कोर्ट ने क्या कहा?

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने हालिया फैसले में यह स्पष्ट किया कि यदि एक पति अपनी मेहनत की वैध कमाई से अपनी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है, तो असली मालिकाना हक उस पति का ही रहेगा। सिर्फ रजिस्ट्री में पत्नी का नाम दर्ज होने से वह संपत्ति उसकी नहीं मानी जाएगी।

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कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों को बेनामी संपत्ति के दायरे में तब तक नहीं लाया जा सकता जब तक यह साबित न हो जाए कि संपत्ति खरीदने का पैसा किसी अवैध स्रोत से आया है।


⚖️ क्या है बेनामी संपत्ति कानून?

बेनामी संपत्ति कानून 1988 में 2016 में बड़े बदलाव किए गए थे। इन बदलावों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपनी वैध आय से किसी पारिवारिक सदस्य – जैसे पत्नी, बच्चों या माता-पिता – के नाम पर संपत्ति खरीदता है, तो यह बेनामी संपत्ति की श्रेणी में नहीं आएगा।

बशर्ते, यह साबित हो कि पैसा पूरी तरह से वैध स्रोत से आया है और ट्रांजैक्शन पारदर्शी है। इसका मतलब यह हुआ कि परिवार के अंदर संपत्ति का स्थानांतरण अब कानूनी रूप से सुरक्षित माना जा सकता है, बशर्ते सारे दस्तावेज़ साफ-सुथरे हों।

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📚 मामला कैसे सामने आया?

यह केस दिल्ली के एक व्यक्ति द्वारा दायर किया गया था, जिसने अपनी पत्नी के नाम पर दिल्ली और गुड़गांव में दो संपत्तियां खरीदी थीं। इन दोनों संपत्तियों के लिए पैसा पति ने अपनी कमाई से दिया था, लेकिन रजिस्ट्री पत्नी के नाम पर करवा दी थी।

निचली अदालत ने इस दावे को अस्वीकार कर दिया, लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए कहा कि पति की वैध कमाई से खरीदी गई संपत्ति का असली मालिक वही होगा, भले ही रजिस्ट्री पत्नी के नाम पर हो।


📝 कोर्ट की अहम टिप्पणी


⚠️ कोर्ट की चेतावनी

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति काले धन को सफेद करने के लिए पत्नी या किसी और रिश्तेदार के नाम पर संपत्ति खरीदता है, तो उस पर बेनामी संपत्ति कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसलिए संपत्ति से जुड़ी हर प्रक्रिया पारदर्शी और पूरी तरह दस्तावेज़ित होनी चाहिए।


🏡 पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदते वक्त किन बातों का रखें ध्यान?

  1. पैसे का स्रोत साबित करें – अगर आप अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीद रहे हैं, तो यह स्पष्ट होना चाहिए कि पैसा कहां से आया है। इसके लिए बैंक स्टेटमेंट, सैलरी स्लिप, आईटीआर आदि जरूरी हैं।

  2. लिखित एग्रीमेंट बनवाएं – एक साधारण लिखित दस्तावेज बनवाएं जिसमें यह बताया जाए कि पैसा पति ने दिया है और स्वामित्व भी उसी का रहेगा।

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  3. परिवार को जानकारी दें – संपत्ति से जुड़ी जानकारी पारिवारिक सदस्यों के साथ साझा करें ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।

  4. कानूनी सलाह लें – किसी भी खरीद-फरोख्त से पहले योग्य वकील से सलाह जरूर लें ताकि आपकी संपत्ति पर कोई कानूनी संकट न आए।

  5. टैक्स से जुड़ी जानकारी पहले लें – प्रॉपर्टी की बिक्री या किराए की आय से जुड़े टैक्स नियमों को पहले से जान लें।

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📌 निष्कर्ष

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला उन हजारों लोगों के लिए मार्गदर्शक बन सकता है जो टैक्स प्लानिंग या पारिवारिक कारणों से पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदते हैं। इससे यह साफ हो गया है कि रजिस्ट्री के नाम से ज्यादा जरूरी है कि पैसा किसने दिया है।

अगर आप सारी कानूनी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ करते हैं और वैध आय से संपत्ति खरीदते हैं, तो डरने की कोई बात नहीं है। लेकिन एक छोटी सी गलती भी बड़े कानूनी विवाद का कारण बन सकती है।


📢 डिस्क्लेमर

यह लेख सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। यह किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह नहीं है। संपत्ति खरीदने, बेनामी कानून या अन्य कानूनी मामलों में निर्णय लेने से पहले किसी योग्य वकील से सलाह जरूर लें। कानून समय-समय पर बदलते रहते हैं, इसलिए अद्यतन जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोत या विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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